Saturday, 25 January 2014

धर्मयुद्ध



हज़ार बार जाल बुने,
शकुनी ने पांडवो को मारने को,
दुर्योधन प्यादा बना,
कुरुवंश नाश लाने को.

पांडवो ने हर बार,
धर्म की रक्षा की,
पांडवो की बार बार,
धर्म ने रक्षा की.

धर्मयुद्ध में कोई,
निष्पक्ष ना रह सके,
या तो इस और, या उस और,
लड़ते लड़ते ही रहे.

अभी भी चल रहा,
धर्मयुद्ध है,
देशभक्तों, देशद्रोहियों के बीच,
हाँ आज ये युद्ध है.

सोच लो किस और तुम,
देश-हित सर्वोपरी ये जान लो,
कृष्ण वहीं जहाँ धर्म है,
जीत वहीं पहचान लो.

-- Neetha

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