Saturday, 25 January 2014

संस्कृति

संस्कृति में बसी हुई,
तेजस्वी वीरों की गाथाएँ.
भूल ना जाना इन्हे कहीं तुम,
देखकर चमकती चट्टाने.

सत्य की विजय पताका,
सदा यहाँ लहराए,
कर्मयोगी मानव यहाँ,
पर-ब्रह्म को पाए.

नारी यहाँ नारायाणी हो,
निष्काम सेवा परम सुख,
भारत की भूमि में जन्में,
कितने कितने वीर सपूत.

मद भरी आँखें, लालची जीवन,
नव नीव भारत की डाल ना सकें,
संस्कृति जिसकी जड़ों में,
वह पेड़ ही मीठे फल दे.

संस्कृति से उभरे निखरे,
जन मन की आवाज़ बने,
सबका सुख सबका विकास,
देशप्रेम मन में जो हो लिए.


- नीता 

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